लव केवल दुख दायनी जनन प्रक्रिया को कुव्यवस्थापकों द्वारा सुलभता से कराने के लिये कुवारों को रोन्गस्ट्रैटेजी से राजी करना है इसे गू पर बूरा छिडकना, जोरों का झटका धीरे से लगाना, जैसा गाल वैसा थप्पड, मूर्ख व चूतिया बनाना जैसे प्रभावशाली वाक्यों द्वारा आसानी से समझाया जाता आ रहा है

 

1.  आप ने वातावरण गन्दा किया, और आप को दण्ड दिया गया, अब आप मलमूत्र त्याग के दर्द को सैहैते हैं उचित स्थान पर करते हैं पर दण्ड के डर से वातावरण गन्दा नहीं करते,

2.  पर अब आप अकेले रैहैते है और अपना गन्द खुद साफ़ करते है, आप ये जान बूझ कर कि सुबह आप जल्दी जल्दी इसे खुद साफ़ कर ही देंगे, और कोई देख भी नहीं रहा, कोई दण्ड देने वाला भी नहीं, रात में उठने का आलस कर जान बूझ कर वातावरण गन्दा कर देते हैं,

3.  उस समय वातावरण गन्दा करते समय आप को जो आनन्द की आभूति होती है  इल्लीगल सैक्स उस का चौथाई हिस्सा भी नहीं

4.  तो सवाल ये उठता है कि फ़िर ब्यूटी, फ़ैसन, जिम, पार्लर, म्यूज़िक, डांन्स, मूवीज़, चैटिन्ग, वैडिंग, कोर्ट, जेलें, इन्स्टिट्यूट्स, रिलीजिअस, ये सब बबाल क्यों ?

5.  दरसल श्रिष्टि में एक कमजोर, डरी हुयी, शिकार हुयी, कम्यूनिटी ने खुद को बनाये रखने के लिये परदा, छुपाना, सस्पैन्स जैसे षडयन्त्रों का इस्तेमाल कर, सतप्रतिषत गलत करते रैहैने के लिये खुद को मना रेप्स, प्रोस्टेसन, सोमोटेसन, रुइनेसन, व्यवस्थाहनन को लव के आधार पर फ़ैलाना जारी रखा है

6.  लव आज व्यवस्था की किताब में करीब 60,000 लीगल रिफ़्रैन्सेज़ में से सिर्फ़ एक है

7.  जिसे उस अज्ञानी, शिकार, कमजोर, डरीहुई, बेबस कोम्यूनिटी ने जान बूझ कर जानते हुये अपनी कुव्यव्स्था को जारी रखने के लिये झूठ बोल कर आधार साबित करना, प्रचारित करना, सिखाना जारी रखा हुआ है

8.  पर इन्टैलीजैन्सी, ट्रायल कैहैती है कि जन व्यवस्था का आधार मैटर्स व उनके सन्तुष्ट समाधानों के लाइव विडियोज़ यानी एविडैन्सेज़ हैं जो काम, ड्यूटी, और जस्टिस यानी अधिकारों के समान वितरण को व्यवस्था का आधार मानती है

9.  ये जैनैस से रिवैल्यूसन तक का कोई चक्र नहीं, जो प्रारम्भ से अन्त तक समय समय पर अपना प्रभाव बदलता है ये सदैव हर परिस्थिती में समान कर्म व अधिकार प्रदान करने वाली परम शक्ति है जो परिस्थिति अनुसार किसी भी प्रजाति, संख्या, रूप में हो सकती है और किन्हीं भी तरीकों का इस्तेमाल कर जन व्यवस्था को कायम रखती है इसे करोडों वर्ष की सिन्धु घाटि व्यवस्था द्वारा परमात्मा का संज्ञान दिया गया है जो अवतारों को प्रेरित कर जन व्यवस्था को जारी रखती है  इसे देखा नहीं जा सकता, इसकी कल्पना करना असम्भव है,  इसे आकार देना असम्भव है, इसे छूआ नहीं जा सकता, इसे काटा नहीं जा सकता, इसे मिटाया नहीं जा सकता, इसे डुबोया नहीं जा सकता, इसे जलाया नहीं जा सकता, इसे खरौंचा नहीं जा सकता, इसे बदला नहीं जा सकता, ये श्रिष्टि काल द्वारा अपने सुनिष्चित समय में खुद ब खुद आभाशित हो लुप्त होती आ रही है,  इसके एविडैन्सेज़ तक ढूंडना असम्भव हैं, ये श्रिष्टि विधान है इसी काल के मध्य प्रत्येक प्राण व देह का उदय व विस्तार होता है इस प्रचण्ड सिस्टम में लव की कोई बैसाख नहीं, लव केवल दुख दायनी जनन प्रक्रिया को कुव्यवस्थापकों द्वारा सुलभता से कराने के लिये कुवारों को रोन्गस्ट्रैटेजी से राजी करना है इसे गू पर बूरा छिडकना, जोरों का झटका धीरे से लगाना, जैसा गाल वैसा थप्पड, मूर्ख व चूतिया बनाना जैसे प्रभावशाली वाक्यों द्वारा आसानी से समझाया जाता आ रहा है और इसी को वह व्यवस्था, धर्म, सरकार, इन्स्टिट्यूट्स, कोम्यूनिटीज़, परिवार, साथी के नाम से कुप्रचारित व कुशिक्षित करते आ रहे हैं  

10.              पर अब ये साबित कर 112 हत्यायें हर मिनट जारी का रिकोर्ड दिखाया जा चुका है अब कुव्यवस्थापक आखरी सांसें ले रहा है, इसे भागते भूत की लगोट भली, रस्सी जल गयी पर ऐन्ठ ना गयी, मरे जाना मल्हारे गाना, जो मिला वो प्रशाद, जला झन्डा कूबडों के हाथ, जैसे वाक्यों से आसानी से समझाया जा सकता है,

11.              हर इन्सान तक एलैक्डेड, मुनिसिपल, मीडिआ, साइबर व बीट ओफ़िसर्स की मौजूदगी के एविडैन्सेज़ के साथ किसी मानव का अकेले रैहैना रोड पर पडा रैहैना इस बात के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि जो कुछ कहा गया है वो सब और उसका अन्त अब सत्य है, 

THE WORLD GOVERNMENT OF ADVER

 

 

 

 

 


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